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Photograph: (the sootr)
देश में केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के नियमों में बढे़ बदलाव किए गए है। इन बदलावों के बाद अब मिलावटखोरों की सजा और खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता को नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है।
नए प्रावधानों के मुताबिक देश में खाने-पीने के कुछ मिलावटी खाद्य पदार्थो को बेचने व बनाने की अनुमति मिल गई है। पहले यह खाद्य पदार्थ अवैध माने जाते थे। इधर मिलावटखोरी व मिलावटखोरों की सजा में भी नरमी बरती गई है। अब इसमें सजा की जगह जुर्माने लगाने का प्रावधान किया गया है।
खाद्य सुरक्षा कानून में नए संशोधन
इन नए संशोधनों के तहत, पहले जो खाद्य पदार्थ मिलावटी माने जाते थे, अब उन्हें कानूनी तौर पर स्वीकार किया गया है। जैसे पनीर, खोवा और आइसक्रीम जैसे उत्पाद अब तेल और सोया प्रोटीन जैसे मिश्रित पदार्थों से बनाए जा सकते हैं। ये बदलाव खाद्य उद्योग के लिए राहत की बात हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार यह स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।
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मिलावटी पनीर को कानूनी स्वीकृति
पुराने खाद्य सुरक्षा कानून के तहत केवल गाय-भैंस के दूध से बना पनीर ही शुद्ध माना जाता था, लेकिन अब वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रोटीन, मिल्क पावडर और एडिटिव्स से बने पनीर को भी कानूनी मान्यता मिल गई है। हालांकि, इन पनीर के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है क्योंकि इनमें प्राकृतिक दूध के मुकाबले कम प्रोटीन और अधिक अनहेल्दी फैट होते हैं।
आइसक्रीम और फ्रोजन डेजर्ट के नए नियम
पहले केवल दूध से बनी आइसक्रीम को शुद्ध माना जाता था, लेकिन अब वनस्पति तेल और अन्य मीठे पदार्थों से बनी फ्रोजन डेजर्ट को भी कानूनी स्वीकृति मिल गई है। इसके परिणामस्वरूप, उपभोक्ताओं को आइसक्रीम और फ्रोजन डेजर्ट के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है।
खाद्य पदार्थों से जुडे़ नए नियमों को ऐसे समझें IN SHORT मेंमिलावटखोरों के लिए जेल प्रावधान खत्म: अब खाद्य सुरक्षा कानून में मिलावटखोरों को जेल भेजने के बजाय केवल जुर्माना लगाया जाएगा। खाद्य उत्पादों में बदलाव: पहले जो उत्पाद मिलावटी माने जाते थे, जैसे पनीर और आइसक्रीम, उन्हें अब कानूनी मान्यता मिल गई है। पनीर-आइसक्रीम में तेल का इस्तेमाल: अब वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रोटीन, और एडिटिव्स से बने पनीर और आइसक्रीम बेचना कानूनी रूप से स्वीकार्य है। जुर्माना राशि में वृद्धि: मिलावटखोरी करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपए तक कर दिया गया है। खाद्य निरीक्षकों की कमी: राज्य में मिलावटखोरों को पकड़ने के लिए केवल 61 खाद्य निरीक्षक हैं, जिनसे प्रभावी निगरानी की कमी महसूस हो रही है। |
सजा नहीं अब जुर्माने का प्रावधान
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 63 में अब बिना लाइसेंस वाले खाद्य पदार्थों को बेचने पर केवल जुर्माना वसूला जाएगा, जबकि पहले इस पर 6 महीने तक की जेल की सजा का प्रावधान था। अब असुरक्षित और मिलावटी खाद्य पदार्थों के विक्रेताओं को 10 लाख तक का जुर्माना भरना होगा, लेकिन जेल भेजने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है।
इधर खाद्य निरीक्षकों की कमी से जूझ रहा अमला
एक ओर तो सरकार खाद्य सुरक्षा से जुडे़ प्रावधानों में परिवर्तन कर रही है, दूसरी और राज्यों में खाद्य विभाग अमले से जूझ रहा है। केवल मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो दोनों ही राज्यों में मैदानी खाद्य अधिकारियों की भारी कमी है। छत्तीसगढ़ के 33 जिलों के लिए केवल 61 खाद्य निरीक्षक तैनात है, इसमें भी आठ तो राजधानी रायपुर में ही पदस्थ है।
मध्यप्रदेश के 55 जिलों के लिए 94 खाद्य निरीक्षक हैं, नियमानुसार जिला मुख्यालय पर कम से कम 2 खाद्य निरीक्षक की तैनाती आवश्यक है, वहीं बडे़ जिले में यह संख्या 3 से 5 तक तय की गई है, लेकिन अमले की कमी के कारण कई जिलों में खाद्य निरीक्षक के पद रिक्त है।
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अधिक तेल दिल और लिवर के लिए खतरनाक
रायपुर एम्स के जाने-माने गेस्ट्रोएंट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनीष लूनिया के अनुसार वेजिटेबल ऑइल से बनने वाला पनीर आर्टिफिशियल पनीर है। ये खुले में बनता है, और इसको बनाने में सावधानियां भी नहीं बरती जाती है। लोग इसे पनीर के नाम पर इस्तेमाल करते है, जिससे शरीर में काफी तेल जाता है।
इसी प्रकार फ्रोजन डेजर्ट को लोग आइसक्रीम मानते है, वहीं चीज के नाम पर भी वेजिटेबल आइल दिया जा रहा है। यह सभी चीजे हार्ट और लिवर के लिए काफी नुकसान दायक है। इस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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