दिग्विजय सिंह को पहली बार दिया विधायक बेटे - बहू ने वोट, क्या पहले थे नाराज ? जानें वजह

साल 2003 में दिग्विजय सिंह आखिरी बार राघौगढ़ से चुनाव लड़े थे। 21 साल बाद दिग्विजय सिंह राघौगढ़ से चुनाव लड़ने लौटे हैं। इस बीच उनका बेटा विधायक बन चुका है।

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Marut raj
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Congress candidate from Rajgarh Lok Sabha seat is former CM Digvijay Singh द सूत्र
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भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री और राजगढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को पहली बार उनके बेटे और बहू ने वोट दिया है। मध्य प्रदेश में लंबी राजनीतिक पारी खेल चुके दिग्विजय सिंह के जीवन में ऐसा पहली बार मौका आया है, जब उनके बेटे - बहू ने उनके लिए वोटिंग की है। बेटा भी विधायक है, लेकिन इससे पहले कभी भी अपने पिता के लिए वोटिंग नहीं की थी। क्या थी इसकी वजह, आइए आपको बताते हैं।

21 साल बाद राघौगढ़ लौटे दिग्गी राजा

साल 2003 में दिग्विजय सिंह आखिरी बार राघौगढ़ से चुनाव लड़े थे। उस समय जयवर्धन की उम्र सिर्फ 17 साल थी। इसलिए वह अपने पिता के पक्ष में वोट नहीं डाल सके थे। करीब 21 साल बाद दिग्विजय सिंह इस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।  इस बीच उनके बेटा जयवर्धन विधायक बन चुके हैं और उनकी शादी के बाद पत्नी सृजाम्या का वोट भी यहां जुड़ चुका है। राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में गुना जिले की चांचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा भी शामिल है। इसलिए ऐसा पहली बार हो रहा है कि बेटा जयवर्धन और बहू सृजाम्या ने उनके लिए वोट किया है।

दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह साल 2003 में भी भाई दिग्विजय के लिए वोट डाल चुके हैं। जबकि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और उनकी बहू सृजाम्या सिंह ने पहली बार अपने पिता के चुनाव लड़ते समय अपने वोट का उपयोग किया है।

1984 में पहली बार जीती कांग्रेस

साल 1962 में यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस के लिलाधर जोशी को हराया था। कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी। 

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर को 8,23,824 वोट मिले थे. BJP कैंडिडेट के मुकाबले कांग्रेस की मोना सुस्तानी को 3,92,805 वोट मिले और नोटा ने 10,375 वोट हासिल किए थे। 

2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस अंलाबे नारायण सिंह  को हराया था। इस चुनाव में नागर को 5,96,727 वोट मिले थे और अंलाबे नारायण को 3,67,990  वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,28,737 वोटों का था। तीसरे स्थान पर बसपा रही थी।

 

भरी सभा में छोटे भाई ने कराई दिग्विजय की किरकिरी

भोपाल. राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ( former CM Digvijay Singh ) को चुनाव प्रचार के दौरान अजीबो-गरीब स्थिति का सामना करना पड़ा। दरअसल, पूर्व सीएम ने चुनाव प्रचार के दौरान पूछा कि गारंटी कार्ड के बारे में सभी को जानकारी है क्या, जिसे जानकारी नहीं है, वो हाथ उठाए। इतने में मंच पर बैठे हुए दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ने अपना हाथ खड़ा कर दिया। कहा कि उन्हें गारंटी के बारे में कुछ नहीं पता।



अपने छोटे भाई की बात सुनकर दिग्विजय सिंह असहज हो गए। दिग्विजय सिंह ने माइक से आवाज लगाकर मंच और कांग्रेस का गारंटी कार्ड ( संकल्प पत्र ) मंगवाया और पढ़कर सुनाया। कांग्रेस के गारंटी कार्ड को पढ़ने के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस कार्ड पर मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के हस्ताक्षर भी हैं।

ऐसे कैसे चलेगी हमारी नेतागिरी कैसे चलेगी

दिग्विजय सिंह ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण सिंह के हाथों में गारंटी कार्ड सौंपते हुए उसे पढ़ने की सलाह दी। कहा कि यदि हमारे भाई को ही गारंटी नहीं मालूम तो फिर हमारी नेतागिरी कैसे चलेगी। राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के आवन गांव में नुक्कड़ सभा करने पहुंचे दिग्विजय सिंह के साथ उनके विधायक पुत्र जयवर्द्धन सिंह भी मंच पर मौजूद थे। सभा शुरू होने के कुछ देर बाद लक्ष्मण सिंह भी कार्यक्रम में पहुंच गए। दिग्विजय सिंह ने लक्ष्मण सिंह को मंच पर बुलाया और साथ में बैठने के लिए कहा, लेकिन मंच पर बैठने के बाद लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस के गारंटी कार्ड पर  सवाल खड़े किए (Laxman Singh raised questions on Congress's guarantee card )। 

अंतिम चुनाव का इमोशनल कार्ड

ज्ञात हो कि अंतिम चुनाव के इमोशनल कार्ड को सामने रखकर 77 साल के दिग्विजय सिंह जनता के बीच जा रहे हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के रोडमल नागर से है। बता दें कि नागर पिछले 10 साल से सांसद हैं।

साल 1962 में राजगढ़ लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस के लिलाधर जोशी को हराया था। कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी।

पिछले दो चुनाव का ये रहा रिजल्ट

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर को 8 लाख 23 हजार 824 वोट मिले थे। BJP कैंडिडेट के मुकाबले कांग्रेस की मोना सुस्तानी को 3 लाख 92 हजार 805 वोट मिले थे।

2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस अंलाबे नारायण सिंह  को हराया था। इस चुनाव में नागर को 5 लाख 96 हजार 727 वोट मिले थे और अंलाबे नारायण को 3 लाख 67 हजार 990  वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2 लाख 28 हजार 737 वोटों का था। राजगढ़ लोकसभा सीट रिजल्ट | Rajgarh Lok Sabha seat result  दिग्विजय सिंह की बहू | दिग्विजय सिंह का बेटा 

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