भोजशाला में तीन दीवारों की लेयर ,सनातनी अवशेष और मूर्तियों के साथ कई शिलालेख मिलने का दावा, अब HC में पेश होगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट इंदौर के आदेश के बाद धार की भोजशाला में चल रहे आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया द्वारा किया जा रहा सर्वे का आज 38वां दिन है। कल यानी 28 अप्रैल को ASI को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है।

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Pratibha ranaa
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BHOPAL. भोजशाला ASI सर्वे का आज 38वां दिन है। कल यानी 28 अप्रैल को ASI को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी है। 22 मार्च से शुरू हुआ सर्वे में लगातार जारी हैं, ASI की टीम के 20 अधिकारी 37 मजदूरों के साथ भोजशाला पहुंचे।

कल कोर्ट में सबमिट होगी रिपोर्ट 

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने दावा करते हुए हाईकोर्ट में सर्वे के लिए याचिका दायर की थी। इंदौर हाईकोर्ट ने एएसआई को भोजशाला के सर्वे के लिए 6 हफ्ते का समय दिया था। भोजशाला का सर्वे 22 मार्च से शुरू हुआ था। आज सर्व का 38वां दिन है। कल यानी 29 अप्रैल को रिपोर्ट न्यायालय को सबमिट होगी।

38 दिन में भोजशाला में क्या-क्या मिला ?

38 दिन के भोजशाला सर्वे में तीन दीवारों की लेयर ,सनातनी अवशेष ,गौमुख ,मूर्तियां, कई शिलालेख मिलने का दावा किया जा चुका है। 

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धार भोजशाला में कब बनी मस्जिद, क्या है पूरा विवाद

धार भोजशाला में बनी मस्जिद व पूरे परिसर का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करने के आदेश इंदौर हाईकोर्ट ने दिए हैं। धार भोजशाला में मस्जिद होने को लेकर मुस्लिम पक्ष का अपना का दावा है। वहीं हिंदू पक्ष का दावा है कि यह प्राचीन, ऐतिहासिक हिंदू स्थल है। यहां पर हिंदू संस्कृति के प्रमाण मौजूद हैं। हालांकि धार भोजशाला परिसर और इसमें बनी मस्जिद का सर्वे जारी है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही कोर्ट तय करेगा कि किसका दावा अधिक सच है। आइए हम आपको बताते हैं कि यह विवाद क्या है...

मुस्लिम पक्ष के अनुसार

इस वर्ग का मानना है कि यहां कमाल मौलाना की दरगाह है। यह मस्जिद ही है और 1985 के वक्फ बोर्ड बनने पर उनके आर्डर में इसे जामा मस्जिद कहा गया है। इसलिए यह हमारा धर्मस्थल है। अलाउद्दीन खिलजी के समय 1307 से ही यह हमारा स्थल है, उन्हीं के समय से मस्जिद बनी हुई है। रिकार्ड में भोजशाला के साथ कमाल मौला की मस्जिद लिखा हुआ है। यह पूरा स्थल हमारा है।

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हिंदू संगठन का पक्ष

     हिंदू संगठनों का कहना है कि यह परमार वंश के राजा भोज द्वारा बनवाया गया विश्वस्तरीय स्कूल था। यहां पर इंजीनियरिंग, म्यूजिक, आर्कियोलॉजी व अन्य विषय की श्रेठ पढ़ाई होती थी और इसकी प्रसिद्धी का स्तर नालंदा, तक्षशिला जैसा ही था।

    -   यह सन्  एक हजार में स्थापित हुआ था। यहां मां वाग्देवी की प्रतिमा थी। साथ ही यहां पर हिंदू स्ट्रक्चर के पूरे साक्ष्य मौजूद हैं। खंबों पर हिंदू संस्कृति की नक्काशी है, संस्कत व प्राकूत भाषा में शब्द लिखे हुए हैं। 

    -    यहां कभी भी मस्जिद नहीं रही है। पुराने रिकार्ड में भी हमेशा भोजशाल शब्द का उपयोग हुआ है।

    -   इसलिए यह स्थल हमारी उपासना का केंद्र है। यह पूरी तरह हमे मिलना चाहिए। हिंदू पक्ष का यह भी तर्क है कि जिन कमाल मौलान की यहां मजार बताई जाती है, वह तो धार में कभी दफनाए ही नहीं गए। आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने पहले यहां खुदाई भी की थी। उस समय भी हिंदू स्थल के सबूत मिले थे, लेकिन फिर रोक दी गई। इसलिए यह खुदाई यहां की और दरगाह स्थल की भी होना चाहिए, इससे सब साफ हो जाएगा। 

    -  यह भी तथ्य कहा जाता है कि अलाउद्दानी खिलजी ने 1300 में अटैक किया था और फिर 1540 में मोहम्मद खिलजी ने भोजशाला पर अटैक किया था। इस दौरान दरगाह बनाई गई, जो वास्तव में है ही नहीं। जबकि यह स्थल मूल रूप से एक हजार साल साल पहले राजा भोज द्वारा तैयार कराया गया स्कूल था।