MPPSC की राज्य सेवा परीक्षा 2019 की कानूनी लड़ाई खत्म, सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रक्रिया सही मानी

मध्यप्रदेश के 398 उम्मीदवारों को झटका लगा है जो पीएससी के पहले मेन्स रिजल्ट में 1918 उम्मीदवारों में शामिल थे और इटंरव्यू के लिए पात्र थे, लेकिन रूल 2015 को लेकर उठे विवाद के बाद फिर आए नए सिरे से आए रिजल्ट में बाहर हो गए...

author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
THESOOTR
Listen to this article
00:00 / 00:00

MPPSC की राज्य सेवा परीक्षा 2019

संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ) की सबसे चर्चित राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर चल रही सभी कानूनी लड़ाई अब खत्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने इस परीक्षा को लेकर डिटेल आदेश जारी कर दिया है, अब इसी के आधार पर हाईकोर्ट में लंबित याचिकाएं भी समाप्त हो जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने पीएससी की पूरी परीक्षा प्रक्रिया को सही माना है। इससे अब उन चयनित उम्मीदवारों को अंतिम राहत मिल गई है, जो भर्ती पाने के बाद भले ही जॉइन हो गए थे, लेकिन मन में आशंका थी कि कहीं फैसले में कुछ ऐसा नहीं आ जाए कि उनके चयन को लेकर सवाल उठ जाएं। 

सुप्रीम कोर्ट ने नार्मलाइजेशन और मेरिट लिस्ट सही मानी

THESOOTR

THESOOTR

जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार ने 22 पेज का लंबा आर्डर जारी किया है। इसमें मोटे तौर पर माना गया है कि पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर जो मेन्स और फिर स्पेशल मेन्स की प्रक्रिया की, इसका रिजल्ट बनाने के लिए नार्मलाइजेश का फार्मूला लगाया वह सही था, इसमे किसी तरह की गलती नहीं है। मेरिट प्रक्रिया में वैसे भी कोर्ट तभी दखल देगा जब इसमें नियमों के परे जाकर कोई काम किया गया हो, इस पूरी प्रक्रिया में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है। 

आयोग की सही कार्यप्रणाली पर लगी मुहरः मेहरा

THESOOTR

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अंतिम चयनित और नियुक्ति पाए 472 उम्मीदावरों को राहत है। सुप्रीम कोर्ट में आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराण नाडकर्णी, डॉ. हर्ष पाठक, मोहित चौबे द्वारा पक्ष रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पीएससी चेयरमैन डॉ. राजेश लाल मेहरा ने कहा कि यह निर्णय स्वागत योग्य तथा आयोग की सुचारू कार्यप्रणाली पर मुहर लगाने वाला है। अब अभ्यर्थियों की समस्त शंका दूर हो गई है। शासन ने भी त्वरित कार्रवाई कर जो नियुक्तियां दी थी उन पर अब कोई संशय शेष नहीं है।

ये खबर भी पढ़ें...

MPPSC नहीं चाहता 13 फीसदी रिजल्ट जारी करे, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी रोकने के लिए लगी तिकड़म

खासकर 398 उम्मीदवारों को झटका लगा है

इस फैसले से अंतिम रूप से चयनित हो चुके उम्मीदवारों को राहत है तो वहीं 398 उम्मीदवारों को झटका लगा है जो पीएससी के पहले मेन्स रिजल्ट में 1918 उम्मीदवारों में शामिल थे और इटंरव्यू के लिए पात्र थे, लेकिन रूल 2015 को लेकर उठे विवाद के बाद फिर आए नए सिरे से आए रिजल्ट में बाहर हो गए। बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें इंटरव्यू के लिए पात्र बताया, लेकिन फिर आयोग की याचिका पर स्टे हो गया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया और अंतिम रूप से अब यह मुद्दा खत्म हो गया। 

5 साल तक चलने वाली पीएससी 2019 की सबसे लंबी ऐसी थी कहानी...

  1. 14 नवंबर 2019 को आयोग ने 571 पदों के लिए भर्ती निकाली, इसमें 3.64 लाख ने आवेदन भरे, इसमें से 3.48 लाख ने 12 जनवरी 2020 को प्री दी। 

  2. 21 दिसंबर 2020 को प्री का रिजल्ट आया और इसमें 10767 मेन्स के लिए पास हुए।

  3. 17 फरवरी 2020 को मप्र शासन ने परीक्षा नियम 2015 के रूल 4(3)(डी) बदला, जिसमें आरक्षित कैटेगरी का व्यक्ति उसी कैटेगरी में रहता और मेरिट के आधार पर अन्य कैटेगरी में शिफ्ट नहीं होने का नियम बनाया। पहले नियम था कि हर स्टेज पर आरक्षण होगा, इस नियम से इसे रोक दिया गया।

  4. इस दौरान प्री के रिजल्ट के आधार पर 21 मार्च से 26 मार्च 2021 तक मेन्स हुई, जिसका रिजल्ट 31 दिसंबर 2021 को आया और 1918 उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए पास घोषित हुए।

  5. इंटरव्यू होने से पहले 7 अप्रैल 2022 को परीक्षा नियम 2015 को लेकर लगी याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला आया और इस नियम को अल्ट्रावायरस घोषित कर दिया गया।

  6. इसके बाद आयोग ने 29 सितंबर 2022 को फैसला लिया और सूचना जारी कि वह फिर से रिजल्ट प्री का देंगे औऱ् दोबारा मेंस होगी। इसी दौरान जीएडी के पत्र पर 87-13 फीसदी का फार्मूला भी आ गया।

  7. हाईकोर्ट के परीक्षा नियम 2015 के रूल 4 के संशोधन को रद्द करने के बाद आयोग ने 10 अक्टूबर 2022 को नए सिरे से प्री का रिजल्ट जारी किया, जिसमें 13080 कुल उम्मीदवार सफल घोषित किए (जबकि दिसंबर 2020 के रिजल्ट में 10767 सफल घोषित हुए थे) और जनवरी 2023 में इन सभी की दोबारा मेन्स कराने की घोषणा कर दी। दूसरे रिजल्ट में 2721 नए उम्मीदवार आए जो सफल घोषित हुए। 

  8. इस फैसले के खिलाफ पहले सफल घोषित हो चुके 1918 उम्मीदवार हाईकोर्ट गए और फिर 29 नवंबर 22 को आदेश आया कि जो पास हो चुके उनकी मेन्स लेने की जरूर नहीं है नए सफल उम्मीदवारों की ही स्पेशल मेन्स ली जाए। नार्मलाइजेशन कर मेरिट लिस्ट बनाई जाए।

  9. पीएससी ने इसका पालन करते हुए 15 अप्रैल से 20 अप्रैल 2023 तक स्पेशल मेन्स ली। इस फैसले के खिलाफ भी अपील लगी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी और स्पेशल मेन्स कराने का फैसला सही पाया। कुछ याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि दोबारा मेन्स हो, जिसे खारिज किया गया।

  10. इस स्पेशल मेन्स का रिजल्ट 18 मई 2023 को आया, इसमें 1983 को इंटरव्यू के लिए पात्र माना गया। लेकिन इसमें 398 उम्मीदवार बाहर हो गए जो 31 दिसंबर 2021 को घोषित मेन्स रिजल्ट में पास 1918 सफल उम्मीदवारों में शामिल थे और इंटरवयू के लिए पात्र माने गए थे। यह 398 हाईकोर्ट गए। कुछ याचिकाकर्ता को इटंरव्यू में बैठने की पात्रता मिली। फिर एक अन्य आदेश में सभी को इंटररव्यू में बैठाने का आदेश दिया गया। पीएससी इसके खिलाफ अपील में गया और स्टे हो गया।

  11. इंटरव्यू जो 9 अगस्त 23 से 19 अक्टूबर 23 तक हुए इसमें नहीं बैठने वाले उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट गए, साथ ही वह भी कुछ उम्मीदवार गए जो दोबारा मेन्स नहीं होने से नाराज थे और नार्मलाइजेशन प्रक्रिया और मेरिट लिस्ट पर सवाल उठा रहे थे। 

  12. अब बुधवार एक मई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फाइनल आर्डर आ गया है और पीएससी की सभी प्रक्रिया और चयन को सही माना गया है।

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट MPPSC MPPSC की राज्य सेवा परीक्षा 2019