सरिस्का नेशनल पार्क में अवैध खनन ने उड़ा दी बाघों की नींद, खोखला कर दिया रिजर्व फोरेस्ट

खनन कंपनियां पर्यावरणीय कानूनों की धज्जियां उड़ा रही हैं। सरिस्का के संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खनन ने बाघों के निवास को प्रभावित किया। एनजीटी ने मामले में कड़ा रुख अपनाया और रिपोर्ट मांगी।

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Gyan Chand Patni
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मुकेश शर्मा

राजस्थान में बाघों का घर सरिस्का फिर अवैध खनन को लेकर चर्चा में है। इस बार मामला सरिस्का के संरक्षित वन क्षेत्र में सीधे अवैध खनन से जुड़ा है, जिसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कड़ा रुख अपनाया है।

खनन कंपनियों ने पर्यावरणीय कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी लीज की भूमि से बाहर जाकर संरक्षित वन भूमि में अवैध खनन कर सरिस्का के वन्यजीवों की नींद उड़ा दी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए भी सरिस्का में अवैध खनन रुकना जरूरी है।

 National Green Tribunal एनजीटी में दाखिल एक याचिका में बताया गया कि प्रतापगढ़ तहसील के झीरी गांव के खसरा संख्या 1116 में अवैध खनन हो रहा है। यह क्षेत्र सरिस्का नेशनल पार्क का संरक्षित एरिया है।

 याचिका में आरोप लगाया कि खनन कंपनी ओम शुभम हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने मार्बल निकालने के लिए अपने निर्धारित लीज क्षेत्र से बाहर जाकर संरक्षित वन भूमि भी खोद डाली।

 इसकी शिकायत जब अधिकारियों से की तो उन्होंने इसकी अनदेखी कर दी। अवैध खनन से न सिर्फ पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा 2 का खुला उल्लंघन भी हुआ है। यह स्पष्ट तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है।

लीज एरिया नहीं था, फिर भी खोद डाला सरिस्का

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट वैभव पंचोली के अनुसार झिरी गांव के जिस खसरा नंबर 1116 की जमीन पर अवैध खनन हो रहा है, उसे 7 नवंबर 1955 की अधिसूचना में संरक्षित वन क्षेत्र ​घोषित किया गया था।

 बाद में यह इलाका सरिस्का नेशनल पार्क का हिस्सा हो गया। खान विभाग ने 19 मई 2016 को ओम शुभम हाउसिंग एवं कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को वन संरक्षण एक्ट 1980 के तहत मार्बल का खनन पट्टा 258—89 जारी किया। इसकी शर्त यह थी कि निर्धारित एरिया से बाहर खनन करने पर अलवर का माईनिंग इंजिनियर कानूनी कार्रवाई करेगा।

 याचिका में इस क्षेत्र में कंपनी को खनन लीज दिए जाने पर सवाल उठाया गया, क्योंकि यहां सरिस्का के कारण किसी भी तरह का खनन बंद है।

 

कंपनी ने नहीं मानी एक भी शर्त

याचिका में कहा गया कि राजस्थान स्टेट लेवल इन्वायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने 22 अगस्त,2016 को इस कंपनी को खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति दे दी।

खनन शर्त के अनुसार कंपनी ने न तो ग्रीन बैल्ट में निर्धारित 33 फीसदी प्लांटेशन किया और न ही पर्यावरण मैनेजमेंट प्लान के लिए कोई पैसा नहीं दिया। उसने खनन एरिया में वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्प्रिलंकर सिस्टम भी नहीं लगाए। यहां तक कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु गुणवत्ता संबंधी रिपोर्ट भी नियमित रूप से नहीं भेजी गई। 

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रात्रि में खनन, हो रहे धमाके 

पर्यावरण स्वीकृति शर्त में यह स्पष्ट था कि रात्रि में किसी तरह का खनन कार्य नहीं होगा। लेकिन कंपनी ने इसका स्पष्ट उल्लंघन किया। इतना ही नहीं, उसने गैर—कानूनी तरीके से वन क्षेत्र के पास खनन के लिए विस्फोट किए।

संरक्षित वन क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में विस्फोटक के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद लीज होल्डर संरक्षित वन क्षेत्र के खसरा नंबर 1116 में लगातार विस्फोट कर रहा है। 

नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से कंपनी को खनन के लिए वर्ष 2022 में अनुमति मिली। लेकिन कंपनी ने इससे पहले ही खनन शुरु कर दिया।

याचिका में यह भी बताया गया कि लीज होल्डर कंपनी ने राजस्थान के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की शर्त के हिसाब से न तो ग्रीन बेल्ट विकसित की और न ही वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किया। कंपनी ने लीज एरिया के चारों तरफ छह फुट दीवार भी नहीं बनाई। 

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सर्वे में साबित है अवैध खनन 

सरकार के विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम ने लीज होल्डर के प्रतिनिधि की उपस्थिति में 31 मई, 2025 को संयुक्त सर्वे किया था। सर्वे टीम की 4 जून की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि झिरी गांव के खसरा नंबर 1116 की 1876 वर्गमीटर वन भूमि पर अवैध खनन हो रहा है।

इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर उप वन संरक्षक अलवर ने 13 जून को अलवर के खान विभाग कार्यालय को पत्र लिखकर संरक्षित वन क्षेत्र में हो रहे खनन को गैर—कानूनी बताते हुए कंपनी की खनन लीज निरस्त करने को कहा।

साथ ही वन विभाग के उच्च अधिकारियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लीज निरस्त् की सिफारिश की गई।

मनी लॉड्रिंग का केस है यह तो 

 याचिका में कहा है कि मनी ला​ड्रिंग एक्ट—2002 के तहत पर्यावरण कानून उल्लंघन भी शामिल है। इसलिए संरक्षित वन क्षेत्र और राजस्व जमीनों पर अवैध खनन के लिए इस्तेमाल और कमाया गया धन मनी लॉड्रिंग एक्ट के दायरे में आता है। इसलिए प्रवर्तन निदेशालय को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। याचिका में ईडी को पक्षकार बनाया गया है।

एनजीटी ने छह हफ्ते में मांगी एक्शन रिपोर्ट

एनजीटी ने इस याचिका पर दिए गए अपने अंतरिम आदेश में कहा कि मौके की फैक्चुअल और एक्शन टेकन रिपोर्ट बनाने के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की जाए। इसमें राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खान एवं भूविज्ञान विभाग तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह समिति छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट एनजीटी में पेश करेगी। 

सरिस्का की सीटीएच बदलने से विवाद

इस समय सरकार सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसमें सरिस्का के टहला वाले क्षेत्र को हटाकर उसे दूसरी तरफ बढ़ाया जाएगा। इसका सीधा फायदा बंद पड़ी खदानों को मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरिस्का के आसपास 50 से अधिक खदानों को बंद कर दिया गया था। ये सभी खदानें टहला रेंज की तरफ थी, जिन्हें सीटीएच में बदलाव के बाद अभयदान मिल सकता है।

FAQ

1. सरिस्का में अवैध खनन के कारण बाघों के आवास को किस तरह का नुकसान हुआ है?
अवैध खनन के कारण सरिस्का के संरक्षित वन क्षेत्र में गहरी खुदाई की गई है, जिससे बाघों के आवास का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है और वन्यजीवों की नींद में खलल पड़ा है।
2. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अवैध खनन पर क्या कार्रवाई की है?
NGT ने इस मामले में तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो छह सप्ताह में रिपोर्ट पेश करेगी। इसके अलावा, एनजीटी ने खनन कंपनियों की अवैध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है।
3. सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) में बदलाव का क्या प्रभाव हो सकता है?
सरकार सरिस्का के CTH में बदलाव करने की योजना बना रही है, जिससे बंद पड़ी खदानों को फिर से चालू किया जा सकता है। इससे बाघों के प्राकृतिक आवास और संरक्षित क्षेत्र में नई चुनौतियां आ सकती हैं।

 

राजस्थान National Green Tribunal पर्यावरण संरक्षण सरिस्का में अवैध खनन सरिस्का नेशनल पार्क